कोरोना का इंसानियत पर वार

 मर रहा है इंसान,

देख रहा है भगवान,

कह रहा है हर इंसान,

आखिर है कहाँ भगवान?
यह कैसा कहर है.......!,
क्या हो गया भगवान बेरहम है?

इंसानियत खो गई है ,
या डर के आगोश मे सो गई है?
इंसान- इंसान से डर रहा है,
हे ईश्वर यह तू क्या कर रहा है?
सज़ा दे- दे एक बार,
पर इस तरह न कर एक- एक कर वार,
अब तो डर रहा है हर ईंसान।

कह रहा है हिन्दू,
क्षमा कर दो भगवान
बोल उठा मुसलमान,
माफ कर मेरे परवरडिगार,
ईसाई भी मांग रहा है ,
माफ़ी बार-बार,
मक्का हो या हो मदिना,
मंदिर हो या हो गुरुद्वारा,
हे ईश्वर तुम हमे ले लो अपनी श्रण में।
मौत का यह तांडव,
खत्म कर दो एक बार मे,
थक गए है हम इस कोरोना के वार से।

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