वक़्त-वक़्त  की  बात  है,   न यह  रूकता  है,   न  यह थमता है, वक़्त  सभी का बदलता है।          कभी छाँव-सा ,         कभी धूप-सा,   तो कभी शीतल जल-सा, हर  पहर -सा  यह ढलता  है,  वक़्त  सभी का बदलता  है।

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